चंद्रिका गेरा दीक्षित का नाम आज हर किसी की जुबान पर है, खासकर सोशल मीडिया पर। उन्हें प्यार से “वादा पाव वाली” के नाम से जाना जाता है। उनकी कहानी एक ऐसी महिला की कहानी है जिसने अपने जुनून और स्वादिष्ट वड़ा पाव की बदौलत रातोंरात शोहरत हासिल कर ली। लेकिन ये कहानी सिर्फ वायरल होने और स्टार बनने के बारे में नहीं है, बल्कि संघर्ष, जमीनी हकीकत और सोशल मीडिया की ताकत के दोधारी पहलू को भी दर्शाती है।
संघर्षों से भरी शुरुआत:
मूल रूप से इंदौर की रहने वाली चंद्रिका की जिंदगी आसान नहीं थी। उनके पति के साथ मिलकर वो पहले हल्दीराम जैसी जानी-मानी कंपनी में काम करती थीं। लेकिन उनके बेटे के बीमार होने के चलते उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी। घर चलाने की जिम्मेदारी और बेटे के इलाज के लिए उन्होंने एक कठिन फैसला लिया। चूंकि खाना बनाना उनका हमेशा से शौक था, इसलिए उन्होंने यही शौक को बिजनेस में बदलने का फैसला किया। उनके पति के साथ मिलकर उन्होंने स्ट्रीट फूड का ठेला लगाया।
स्वाद और जुनून का जादू:
चंद्रिका का मानना था कि वो स्वादिष्ट और किफायती वड़ा पाव बना सकती हैं, जो न सिर्फ लोगों को पसंद आएगा बल्कि उन्हें घर का बना स्वाद भी देगा। उनकी ये सोच बिल्कुल सही साबित हुई। उनके द्वारा बनाए जाने वाले वड़ा पाव में एक खास बात थी। शायद वो प्यार और जुनून था जो वो हर वड़ा पाव बनाते वक्त उसमें डालती थीं। ये बात लोगों को खींच लाती थी। धीरे-धीरे उनके वड़ा पाव का स्वाद दिल्ली भर में मशहूर हो गया।
सोशल मीडिया का तड़का और रातोंरात स्टारडम:
एक दिन चंद्रिका ने अपने वड़ा पाव को बनाते हुए एक छोटा सा वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। इस साधारण से दिखने वाले वीडियो में उनकी सादगी और स्वादिष्ट वड़ा पाव इतना पसंद आया कि देखते ही देखते ये वीडियो वायरल हो गया। लोगों को उनका स्ट्रीट फूड वाला अंदाज़ और जुनून काफी पसंद आया। चंद्रिका रातोंरात स्टार बन गईं। उनके स्टॉल पर देश के कोने-कोने से लोग वड़ा पाव खाने के लिए आने लगे। मीडिया का ध्यान भी उन पर गया। कुछ लोगों ने उनकी मेहनत की सराहना की, तो कुछ ने उनके स्टॉल की साफ-सफाई को लेकर सवाल भी उठाए।
सफलता के साथ आईं चुनौतियां:
सोशल मीडिया की बदौलत मिली शोहरत के साथ चंद्रिका के लिए चुनौतियां भी आनी शुरू हो गईं। उनके स्टॉल पर इतनी भीड़ लगने लगी कि सड़क पर जाम लगने लगा। इससे स्थानीय लोगों को परेशानी होने लगी और उन्होंने शिकायत भी की। वहीं, कुछ खबरों के मुताबिक, उनके स्टॉल को हटाने की कोशिश भी की गई। ये वो पल था जब चंद्रिका को ये एहसास हुआ कि सोशल मीडिया की दुनिया जितनी जल्दी स्टार बनाती है, उतनी ही जल्दी भूल भी सकती है। असली चुनौती तो इस शोहरत को संभालते हुए आगे बढ़ने की थी।
जमीनी हकीकत और आगे का सफर:
आज भी चंद्रिका उसी जुनून और लगन के साथ वड़ा पाव बेच रही हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी अपनी एक्टिविटी जारी रखी है और अपने फैंस से जुड़ी रहती हैं। उनकी कहानी हमें यह सीख देती है कि सिख देती है कि सफलता के लिए जुनून और मेहनत ही सबसे अहम चीजें हैं। सोशल मीडिया एक अच्छा प्लेटफॉर्म हो सकता है, लेकिन असली पहचान वही दिलाता है जो आप जमीन पर करके दिखाते हैं। चंद्रिका की कहानी अभी अधूरी है। यह देखना बाकी है कि क्या वो इस शुरुआती शोहरत को भुना पाएंगी और एक स्थायी बिजनेस बना पाएंगी। क्या वो अपने स्टॉल की साफ-सफाई और लोकेशन को लेकर उठे सवालों का जवाब दे पाएंगी? वक्त ही बताएगा कि चंद्रिका गेरा दीक्षित की कहानी आगे कैसी करवट लेती है।