आज दिल्ली के सर्राफा बाजार में गहनों की चमक थोड़ी फीकी नजर आई । वैश्विक बाजार के रुझानों को दर्शाते हुए सोने और चांदी दोनों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई । आभूषण बनाने में इस्तेमाल होने वाला सोना (24 कैरेट) आज ₹70 की गिरावट के साथ ₹72,080 प्रति 10 ग्राम पर लुढ़क गया ।
हालांकि , सर्राफा बाजार की उदासी के उलट , वायदा बाजार में सोने की कहानी कुछ अलग रंग लिए हुए थी । अगस्त के अंत में डिलीवरी वाले सोने का वायदा भाव ₹762 की बढ़त के साथ ₹71,900 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया । यह संकेत हो सकता है कि कुछ निवेशक सोने को भविष्य के लिए संभावित बचाव के रूप में देख रहे हैं । आर्थिक अनिश्चितता के समय , सोना पारंपरिक रूप से एक सुरक्षित निवेश माना जाता है , क्योंकि इसकी कीमत आमतौर पर लंबे समय में स्थिर रहती है , यहां तक कि जब स्टॉक और अन्य संपत्तियां उतार- चढ़ाव का सामना करती हैं ।
चांदी की चमक पर भी वैश्विक रुख का असर पड़ा है । हाजिर भाव में ₹250 की कमी आई और यह ₹90,700 प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया । फिर भी, चांदी के वायदा बाजार में सोने की तरह ही एक अलग रुख देखा गया । जुलाई की शुरुआत में डिलीवरी वाली चांदी का वायदा भाव ₹674 की बढ़त के साथ ₹88,657 प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया । यह विसंगति व्यापारियों की भावी आपूर्ति और मांग को लेकर अलग- अलग राय का संकेत दे सकती है ।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख और मजबूत होते डॉलर ने सोने- चांदी की कीमतों को नीचे खींच लिया है । आमतौर पर, ब्याज दरें बढ़ने से सोने में निवेश कम आकर्षक हो जाता है , क्योंकि सोना कोई ब्याज नहीं देता है । इसके अलावा , मजबूत डॉलर सोना खरीदना उन निवेशकों के लिए महंगा बना देता है जो डॉलर के अलावा किसी अन्य मुद्रा का उपयोग कर रहे हैं । फेड को निकट भविष्य में ब्याज दरों को बढ़ाने की उम्मीद है , जिससे सोने की कीमतों पर दबाव बने रहने का अनुमान है ।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की रौनक कम हुई है । कॉमेक्स में हाजिर सोना $3 की गिरावट के साथ $ 2,310 प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है । औद्योगिक उपयोग वाली चांदी भी इस गिरावट से अछूती नहीं रही और $ 29.05 प्रति औंस पर लुढ़क गई है ।
यह देखना बाकी है कि आने वाले दिनों में वैश्विक बाजारों का रुख कैसा रहता है और उसका भारतीय बाजार पर क्या असर पड़ता है । कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भू- राजनीतिक तनाव या आर्थिक अनिश्चितता सोने की मांग को बढ़ा सकती है , जिससे कीमतों में फिर से तेजी आ सकती है । वहीं , कुछ अन्य का कहना है कि फेडरल रिजर्व के रुख के कारण निकट भविष्य में सोने की कीमतों में उतार- चढ़ाव बना रह सकता है .